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मेरी रचनात्मक यात्रा

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परिवार

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मेरे प्रेरणा स्रोत

मेरे पिता: श्री मखन लाल जोशी
मेरी माता: श्रीमती शांति देवी जोशी

मेरी धरती, मेरा आकाश 

उनकी ममता आज भी मुझे एक स्निग्ध छुअन देती है। मेरे भीतर ऊर्जा का स्त्रोत उत्स आप ही हैं । मेरी हर सांस, हर सुबह आप दोनों के श्री चरणों को समर्पित है।

मेरे परिरक्षक:

श्री नरेन्द्र अग्रवाल
श्री सुरेन्द्र अग्रवाल

ओ मेरे परिरक्षक 

जिंदगी के दुर्बल क्षणों में 

बरगद की छांव सदृश 

और कौन हो सकता है 

प्रार्थना के पहले शब्द की तरह पवित्र 

जिसने एक भी वादा नहीं किया 

और निभाते चले गए सारे

विश्रांति के स्वर्णिम पलों का संसार

अंशुल, श्रेया और शिवांश तिवारी ( परिवार)

रक्त क्या है मैं जानना नहीं  चाहती

मैं वहां नहीं हूं,वह मुझमें नहीं है।

दरअसल यह मेरे जीवन का विन्यास है 

जिसका व्याकरण आप सभी हैं ।

मेरी बहनें:

शारदा शर्मा,
मधु शर्मा

मेरी धमनियों में बहता रक्त 

सुबह की भोर आंगन की ज्योति 

ममत्व की छॉव  ममता की गोद 

मेरी जीत का श्रेय तुम हो सिर्फ …

मेरा अवलम्ब (शिवांश)

मेरा उत्तराधिकारी 

ओ मेरे अबलम्ब 

तुम साक्षात कान्हा हो

मेरे जीवन की ढलती शाम में 

सूर्य की प्रखरता

धरती की आश्रयता 

आग की गर्माहट 

जल की तरलता 

आकाश की उदारता 

इन पंच तत्वों से निर्मित 

गुणों के ग्राहक बनो 

और उम्मीद है 

कि एक दिन 

तुम्हारा जीवन परिभाषित होगा।