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मेरी रचनात्मक यात्रा

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मेरे बारे में

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मेरा शिक्षा जगत

1988 में मेरी नियुक्ति भवानीपुर एजुकेशन सोसायटी कॉलेज में पार्ट टाइम लेक्चरर के रूप में  हुई। आठ वर्ष के पश्चात सेठ आनन्दराम जयपुरिया कॉलेज में पूर्णकालिक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति हुई। इसके साथ-साथ प्रेसीडेंसी कॉलेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में भी गेस्ट लेक्चरर के रूप में भी कार्य किया और मेरे सुपरविजन में एम फिल एवं पीएचडी भी संपन्न हुई 1985 से रचना कर्म समानान्तर चलता रहा तथा सक्रियता बनी रहेगी।

अवकाश ग्रहण के पश्चात तै था कि कुछ ऐसे रचनात्मक कार्य करने हैं जिसपर पूर्ववर्ती काल में काम नहीं हुआ है।’ गुरु नानक की क्रांतिकारी परम्परा और पूर्वोत्तर भारत इस दिशा में पहला कदम है।