मेरे पिता: श्री मखन लाल जोशी
मेरी माता: श्रीमती शांति देवी जोशी
मेरी धरती, मेरा आकाश
उनकी ममता आज भी मुझे एक स्निग्ध छुअन देती है। मेरे भीतर ऊर्जा का स्त्रोत उत्स आप ही हैं । मेरी हर सांस, हर सुबह आप दोनों के श्री चरणों को समर्पित है।
ओ मेरे परिरक्षक
जिंदगी के दुर्बल क्षणों में
बरगद की छांव सदृश
और कौन हो सकता है
प्रार्थना के पहले शब्द की तरह पवित्र
जिसने एक भी वादा नहीं किया
और निभाते चले गए सारे
रक्त क्या है मैं जानना नहीं चाहती
मैं वहां नहीं हूं,वह मुझमें नहीं है।
दरअसल यह मेरे जीवन का विन्यास है
जिसका व्याकरण आप सभी हैं ।
मेरी धमनियों में बहता रक्त
सुबह की भोर आंगन की ज्योति
ममत्व की छॉव ममता की गोद
मेरी जीत का श्रेय तुम हो सिर्फ …
मेरा उत्तराधिकारी
ओ मेरे अबलम्ब
तुम साक्षात कान्हा हो
मेरे जीवन की ढलती शाम में
सूर्य की प्रखरता
धरती की आश्रयता
आग की गर्माहट
जल की तरलता
आकाश की उदारता
इन पंच तत्वों से निर्मित
गुणों के ग्राहक बनो
और उम्मीद है
कि एक दिन
तुम्हारा जीवन परिभाषित होगा।
मेरी रचनात्मक यात्रा
इस वेबसाइट के पीछे सिर्फ एक ही मकसद है कि मेरा रचना कर्म अधिक से अधिक पाठक तक पहुंचे।